मुजफ्फरपुर मे वक्फ बोर्ड का आरोप: नगर निगम आयुक्त ने वक्फ की अनुमति के बिना मंदिर को दी जमीन, केस दर्ज

मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर में श्रावण के महीने में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते तत्कालीन नगर आयुक्त ने बाबा गरीबनाथ मंदिर प्रबंधन को अस्थाई नैवेद्यम प्रसाद काउंटर खोलने के लिया जमीन दी थी. जिसके विरुद्ध में सुन्नी वक्फ ने ट्रिब्यूनल में मुकदमा कर दिया था. वक्फ बोर्ड का दावा है कि यह जमीन गलत तरीके से बिनी वक्फ से बात किये हुए श्री गरीब नाथ मंदिर न्यास समिति को दे दी गई थी. हालांकि, इस जमीन को मंदिर न्यास समिति ने अभी तक इस्तेमाल में नहीं लिया है.

जमीन वापसी की मांग पर सुनवाई जारी

इस मामले में वक्फ बोर्ड ने नगर निगम के खिलाफ केस दर्ज कर दिया था, जिसकी सुनवाई चल रही है. मंजर हसन बनाम बिहार राज्य और अन्य मामले में परिवार ने मंदिर के नैवेद्यम प्रसाद निर्माण की जगह को वक्फ की संपत्ति बताई है. वादी ने सम्पति का मनमाना उपयोग करने का आरोप लगाते हुए जमीन वापस करने की मांग वक्फ न्यायाधिकरण से की है. वक्फ न्यायाधिकरण ने दर्ज मामले में मुसहरी सीओ को पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया है.

नगर आयुक्त ने मंदिर को दी थी जमीन

साल 2022 में तत्कालीन नगर आयुक्त विवेक रंजन ने 270 वर्ग फुट (18×15) जमीन गरीबनाथ मंदिर न्यास समिति को प्रयोग करने के लिए दी थी. न्यास समिति के आग्रह पर तत्कालीन डीएम के निर्देश पर उन्होंने यह अनुमति दी थी. आयुक्त ने मंदिर समिति को प्रसाद वितरण के लिए जगह दी थी, जो विवाद का कारण बन गई है. इस पर वक्फ बोर्ड की संपत्ती इस्तेमाल करने को लेकर आपत्ति दर्ज कराते हुए बिहार वक्फ ट्रिब्यूनल पटना में केस दर्ज कराया है.

वक्फ ट्रिब्यूनल ने अधिकारियों से मांगा जबाव

इस मामले में 13 और 24 दिसंबर को कोर्ट में सुनवाई हुई थी. अब इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 28 जनवरी निर्धारित हुई है. इस मामले में सुनवाई के दौरान संबंधित अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहेंगे. इस मामले में बिहार स्टेट वक्फ ट्रिब्यूनल ने मुजफ्फरपुर डीएम और मुसहरी सीओ से जवाब मांगा है. इस मामले को लेकर SDM पूर्वी अमित कुमार ने बताया कि यह पुराना जमीन विवाद है.

मेले को देखते हुए दी थी जमीन

नगर आयुक्त ने सावन में लगने वाले मेले की भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने मंदिर को प्रसाद वितरण के लिए जमीन दी थी. लेकिन इसके बाद वक्फ बोर्ड मामले में शिकायत दर्ज करते हुए जिम्मेदार अधिकारियों से पूछा है कि जमीन को उपयोग के लिए कैसे दिया गया. जिस जमीन को लेकर विवाद हो रहा है उस जमीन पर फिलहाल मंदिर को कुछ भी नहीं है.