छूट जाएंगे जन्म-मरण के सभी पाप, पूर्वजों को भी मिलेगा मोक्ष, साल के अंतिम एकादशी पर जरूर करें यह काम

साल 2024 अब अपने अंतिम सप्ताह में पहुंच गया है और इसी दौरान साल का आखिरी एकादशी भी पड़ रहा है. 26 दिसंबर को साल का अंतिम एकादशी मनाया जाएगा. इसे सफला एकादशी भी कहा जाता है. पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी के रूप में मनाया जाएगा और इस दौरान स्वाति नक्षत्र तथा सुकर्मा योग बन रहा है. जिसके कारण इस एकादशी का का महत्व माना जा रहा है. इस एकादशी के दिन व्रत और पूजन करने से दुर्लभ पुण्य की प्राप्ति हो सकती है. ज्योतिषाचार्य पंडित शत्रुघ्न झा ने बताया कि इस एकादशी को काफी खास माना गया है तथा साल के अंतिम एकादशी सुकर्मा योग में मनाई जाएगी.

सफला एकादशी का सही मुहूर्त

25 दिसंबर रात 9:34 बजे से लेकर 26 दिसंबर रात 11:36 बजे तक एकादशी की तिथि है और इसी दौरान एकादशी का व्रत रखा जा सकता है. उन्होंने बताया कि एकादशी का व्रत करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के साथ भगवान विष्णु के पूजन का विशेष महत्व माना गया है. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सफला एकादशी करने से जन्म-मरण के पाप क्षीण होते हैं तथा जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. उन्होंने यह भी बताया कि सफला एकादशी पर अगर व्रत रखा जाए, तो सभी मनोकामनाओं को पूरा किया जा सकता है.

भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की करें पूजा-अर्चना

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सफला एकादशी के दिन दान-पुण्य करने से फल मिलता है. एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु की विधिवत पूजा कर पुरुष सूक्त, विष्णु सहस्त्रनाम व गीता का पाठ करने से जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. साथ ही पूर्वजों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है. सफला एकादशी का व्रत रखने से सभी प्रकार की सफलता मिलती है. उन्होंने बताया कि जो भी व्यक्ति इस एकादशी का व्रत रखता है, उसके रुके हुए सभी कार्य जल्दी पूरे हो जाते हैं. इस दिन भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन लोगों को दान-पुण्य करना चाहिए. साथ ही गाय की सेवा और साधुओं की सेवा करनी चाहिए तथा घी के दीपक से आरती के बाद नारायण कवच का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है.