कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के पिछले 10 वर्ष श्रमिकों के लिए ‘अन्याय काल’ वाले रहे हैं।
मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि यदि वह सत्ता में आती है, तो ‘श्रमिक न्याय’ के माध्यम से कामगारों के लिए अन्याय काल का अंधकार दूर करेगी।
कांग्रेस ने वादा किया कि अगर सत्ता में आई तो देशभर में न्यूनतम मजदूरी बढ़ाकर प्रतिदिन 400 रुपये कर देगी। विपक्षी पार्टी ने कहा कि यही मजदूरी मनरेगा के लिए भी लागू होगी।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी ‘श्रमिक न्याय’ क्यों लाई है? मोदी सरकार के कार्यकाल में 2014-15 और 2021-22 के बीच वास्तविक मजदूरी की वृद्धि दर प्रति वर्ष 1% से भी कम थी। यह खेत मज़दूरों के लिए केवल 0.9%, निर्माण कर्मियों के लिए मात्र 0.2% और गैर-कृषि श्रमिकों के लिए सिर्फ़ 0.3% रही।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) के दूसरे कार्यकाल के दौरान वास्तविक कृषि और गैर-कृषि ग्रामीण मजदूरी क्रमशः 8.6% और 6.9% प्रति वर्ष की दर से बढ़ी।
इसके विपरीत मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में वास्तविक ग्रामीण मजदूरी की वृद्धि दर कृषि में (-0.6%) और गैर-कृषि ग्रामीण मजदूरी (-1.4%) दोनों के लिए नकारात्मक हो गई है।’’
खरगे ने आरोप लगाया कि मनरेगा में आधार के जरिये भुगतान संबंधी अनिवार्यता लाकर मोदी सरकार ने पिछले दो वर्षों में सात करोड़ लोगों से ‘‘काम का अधिकार’’ छीना है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के ‘श्रमिक न्याय’ के अंतर्गत दी गई पांच ‘गारंटी’ का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘हाथ बदलेगा हालात।’’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘श्रमिक न्याय की गारंटी देश के मेहनतकश लोगों के लिए अन्याय काल का अंधकार दूर करेगी।’’
रमेश ने दावा किया, ‘‘पिछले 10 साल के अन्याय-काल के दौरान भारत में श्रमिकों पर होने वाले छह प्रमुख अन्याय- वास्तविक मजदूरी में कमी, श्रमिक-विरोधी श्रम संहिता और बढ़ती ठेकेदारी (कॉन्ट्रैक्ट) प्रथा, ‘मोदी-मेड डी-इंडस्ट्राइलाइजेशन’, नियमित वेतन वाली नौकरियों में कमी, “स्वरोजगार” में वृद्धि, मनरेगा को धीरे-धीरे ख़त्म किया जाना और कोविड-19 के दौरान श्रमिकों के प्रति उदासीन रवैया हैं।’’
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘श्रमिक न्याय’ के पीछे का संदर्भ बेहद महत्वपूर्ण है। मोदी सरकार का सबसे खराब प्रभाव उन क्षेत्रों में रहा, जहां हमारे खेतिहर मजदूर, मजदूर और श्रमिक काम करते रहे हैं।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘2016-17 के बाद से 41 प्रतिशत लोग किसानी पर निर्भर थे। ‘पीएलएफएस’ के आंकड़ों के अनुसार 2018-19 तक 3 करोड़ से ज्यादा लोग कृषि में गए थे। वहीं 2014-15 के बाद करीब 6.5 करोड़ लोग दूसरी जगहों से रोजगार छोड़कर कृषि में चले गए हैं। ये हिंदुस्तान के इतिहास में पहली बार हुआ है। एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी ‘मेक इन इंडिया’ का नारा दे रहे हैं, दूसरी तरफ लोग रोजगार छोड़कर कृषि में जा रहे हैं।’’
दीक्षित ने कहा कि सरकार में आने पर कांग्रेस मोदी सरकार द्वारा पारित कामगार विरोधी श्रम संहिता की व्यापक समीक्षा करेगी।
उनका यह भी कहना था, ‘‘श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए उचित संशोधन की भी हम गारंटी देते हैं। कांग्रेस मुख्य सरकारी कार्यों में रोजगार के लिए ठेका प्रथा को बंद करेगी।
ठेका मजदूरी केवल आखिरी विकल्प होगा, जिसमें श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित होगी। निजी क्षेत्रों के लिए भी कांट्रैक्ट रोजगार में सामाजिक सुरक्षा का पालन करना जरूरी होगा।’’