ढाका। बांग्लादेश में कई दिनों से आरक्षण के खिलाफ आंदोलन चल रहा था। इस आंदोलन के खिलाफ हसीना सरकार ने सख्ती दिखाई तो उन्हें सत्ता से हटाने के आंदोलन तेज हो गया। आखिर में हालात इतने बिगड़ गए कि शेख हसीना को पीएम पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर जाना पड़ा। फिलहाल वह भारत में हैं और यहां से ब्रिटेन, फिनलैंड जाने की कोशिश कर रही हैं। इस आंदोलन को जिन्होंने धार दी वह तीन छात्र हैं-नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और अबू बकर मजूमदार। यह तीनों ही ढाका यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते हैं और आरक्षण के खिलाफ चलने वाले आंदोलन के करता धरता थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार तीनों को ही 19 जुलाई को अगवा कर लिया गया था। इसके बाद उनसे कड़ी पूछताछ की गई और प्रताड़ित भी किया गया। फिर 26 जुलाई को उन्हें छोड़ दिया गया। इसके बाद आंदोलन को इन लोगों ने फिर से आगे बढ़ाया और करीब दस दिन में ही तख्तापलट कर दिया। अब कमान सेना के हाथों में हैं। अंतरिम सरकार के गठन की प्रक्रिया चल रही है, जिसमें इन तीनों छात्र नेताओं की भी अहम भूमिका होगी। तीनों छात्रों ने आज एक वीडियो जारी कर ऐलान किया कि अंतरिम सरकार के मुखिया डॉ. युनूस होंगे, जो नोबेल विजेता अर्थशास्त्री हैं। आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे नाहिद इस्लाम की बात करें तो वह ढाका यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के छात्र हैं। वह उस आंदोलन के नेता हैं, जिसका नाम स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन मूवमेंट है। एसएडीएम के बैनर तले छात्रों ने मांग की थी कि बांग्लादेश में कोटा सिस्टम में बदलाव किया जाए। इसके तहत 30 फीसदी आरक्षण बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लोगों के परिजनों को मिलता है। बांग्लादेश में कुल 56 फीसदी आरक्षण फर्स्ट और सेकेंड क्लास नौकरियों में मिलता है। इस व्यवस्था को भेदभाव वाला और राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल होने वाला बताया जाता रहा है। नाहिद इस्लाम के सहयोगी आसिफ महमूद ढाका यूनिवर्सिटी में भाषाशास्त्र के छात्र हैं। वहीं अबू बकर मजूमदार भी ढाका यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं। वह भूगोल के छात्र हैं और बांग्लादेश के इतिहास को बदलने में जुटे हैं।